रविवार, 18 मई 2008

ज्योतिष के स्कंध

ज्योतिष विज्ञान द्वारा गत का तो परीक्षण किया ही जाता है, आगत अर्थात् भविष्य में घटित होने वाली शुभाशुभ घटनाओं का संकेत भी मिलता है । ज्योतिष के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए कुछ प्रमुख आधारभूत तत्वों का ज्ञान आवश्यक है :-
ज्योतिष के स्कंध
ज्योतिष शास्त्र के मुख्यतः दो भेद हैं :-
(१) गणित ज्योतिष जिसमें मुख्यतः ग्रह तथा नक्षत्रों की गति का अध्ययन किया जाता है ।
(२) फलित ज्योतिष जिसमें सम्पूर्ण चराचर जगत पर ग्रहों तथा नक्षत्रों की गति के प्रभाव का अध्ययन किया जाता है ।
इसके अतिरिक्त विषय-वस्तु के आधार पर ज्योतिष को तीन प्रमुख स्कंधों में विभक्त किया गया है :-
(१) सिद्धांत
(२) संहिता और
(३) होरा
सिद्धांत
का सम्बन्ध खगोल शास्त्र से है। इसी में गणित ज्योतिष भी है। वराहमिहिर की पंचसिद्धान्तिका गणित ज्योतिष की प्रसिद्ध रचना है।
संहिता ऐसे संकलन हैं जिनका उपयोग ग्रहों की स्थिति के आधार पर प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप, अकाल, महामारी आदि के साथ संसार, देशों या जनसमूह विषयक घटनाओं के फलित कथन में किया जाता है।
ग्रहों की गति/युति का मनुष्य या चेतन प्राणियों पर होने वाले प्रभावों का अध्ययन होरा स्कंध के अंतर्गत आता है।
संक्षेप में, सिद्धांत स्कंध का सम्बन्ध गणित ज्योतिष से, संहिता का सम्बन्ध मेदिनी ज्योतिष से तथा होरा का सम्बन्ध जातक स्कंध से है।

गोपाल

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